जर्मन शिक्षा शास्त्री नोबेल ने किंडरगार्टन शिक्षा प्रणाली को प्रारंभ किया।
फेयरवेल नहीं शैक्षणिक कार्य में शिक्षा शास्त्री पेस्टोलॉजी से प्रेरणा पाई।
पॉवेल ने बालक के विकास का विचार करते समय एक दार्शनिक दृष्टिकोण अपनाया था।
एकता ,स्वप्रेरणा तथा सातत्य इन तीन प्रमुख सिद्धांतों को आधार मानकर शिक्षण का विचार होना चाहिए ऐसा फ्रोबेेेल समझते थे।
भूगोल के अनुसार विद्यालय एक भाग के समान है जिसमें शिक्षक का स्थान एक माली के समान तथा बच्चे किंडर यानी पौधों की समान है।
फ्रोबेल ने खेल द्वारा शिक्षा एवं स्वतःक्रिया द्वारा शिक्षा के सिद्धांत पर बल दिया
फेयरवेल की शिक्षा प्रणाली 4 से 8 वर्ष के बच्चों हेतु उपयुक्त है
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