यहाँ पर दल शिक्षण विधि की महत्वपूर्ण जानकारी दी गयी है। जो की REET व समस्त टीचर भर्तियो के लिये उपयोगी है।
->इसका उपयोग सर्वप्रथम द्वितीय विश्व युद्ध से पूर्व हॉवर्ड यूनिवर्सिटी के शोध छात्र "मिशिगन एवम् मार्शा " ने 1939 में 1939 में सैनिको को प्रशिक्षित करने में किया था।हॉवर्ड यूनिवर्सिटी में के प्रोफेसर "डेविड वर्डिंग( जनक) ने 1955 में शिक्षा क्षेत्र में प्रयोग किया।
दल शिक्षण में अध्यापको का दल का चयन 3 प्रकार से किया जाता है।
1. एक ही विद्यालय के अलग अलग विषय के अध्यापक
2.अलग-2 विद्यालय के एक ही विषय के अध्यापक
3.अलग अलग विद्यालय के अलग अलग विषय के अध्यापक
-->>दल शिक्षण में 3 सोपान होते है ।
1.प्रकरण का चयन
2.व्यवस्था /क्रियान्वयन
3.मूल्यांकन/परिक्षण
-->> इसमें तीन विधियों का उपयोग होता है।
1.व्याख्या 2. समस्या समाधान 3. प्रश्नोत्तर विधि
-->> इसकी अवधि 3 घण्टे की होती है ।
नोट-अध्य. सं> अध्यापक संख्या
विद्या सं> विद्यार्थी संख्या
-->>दल शिक्षण के गुण
>बाल केंद्रित व मनोवैज्ञानिक
>कक्षा 6 से उच्चतर तक उपयोगी
>प्रत्येक स्तर के बालक के लिए उपयोगी
>तत्काल मूल्यांकन
>ज्ञानात्मक, भाषात्मक,एवम् क्रियातमक सभी उद्देश्यों की प्राप्ति ।
इस विधि के दोष--->>>
1 खर्चीली
2 दल गठित करना कठिन कार्य
3 आयोजन नियमित परिस्थितयो में संभव
4 प्राथमिक स्तर पर अनुपयोगी
5 एक बार में एक ही शैक्षिक स्तर के विद्यार्थियो को सिखाया जाता है ।
FOR REET,SECOND GRADE AND ALL TEACHER VACANCY ,CTET, RTET, UPTET , TEACHING METHOD REET 2020 HINDI NOTE FOR LEVEL 1 AND 2ND
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