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Important Word Of Accounting in hindi Part-1

पूँजी (Capital) क्या है ?

उस धनराशि को पूँजी कहा जाता है जिसे व्यवसाय का स्वामी व्यवसाय में लगाता है। इसी राशि से व्यवसाय प्रारम्भ किया जाता है।

पूँजी को दो निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जाता है :-

  1. स्थिर पूँजी :- सम्पत्तियों को प्राप्त करने के लिए जो धनराशि लगाई जाती है, वह स्थित पूँजी कहलाती है, जैसे - मशीनरी तथा संयंत्र का क्रय, भूमि तथा भवन का क्रय।
  2. कार्यशील पूँजी :- पूँजी का वह भाग जो व्यवसाय के दैनिक कार्यों के लिए इस्तेमाल होता है, कार्यशील पूँजी कहलाता है।

  3. कार्यशील पूँजी = चालू सम्पत्तियाँ - चालू दायित्व

    लेनदार (Creditor) क्या है ?

    जिस व्यक्ति, संस्था, फर्म, कम्पनी या निगम, आदि को उधार क्रय के लिए या ऋण के लिए व्यापारी द्वारा धन देय होता है, वे व्यापारी के लेनदार कहे जाते हैं।

    देनदार (Debtor) क्या है ?

    वे व्यक्ति, संस्था, फर्म, कम्पनी या निगम, आदि जिनसे धन वसूलना रहता है अथवा जिनके पास संस्था की राशि देय है, उन्हें देनदार (Debtor) कहा जाता है।

    खर्च (Expenditure) क्या है ?

    सम्पत्ति, माल अथवा सेवाएँ प्राप्त करने के लिए किया गया कोई भी भूटान अथवा सम्पत्ति का हस्तान्तरण खर्च कहलाता है।

    खर्च के प्रकार

    खर्च दो प्रकार के होते हैं :-

    1. पूँजीगत व्यय (Capital Expenditure)

      स्थायी सम्पत्तियों के क्रय अथवा उनके मूल्य में वृद्धि करने के उद्देश्य से किया गया गैर-आवर्ती व्यय पूँजीगत खर्च कहलाता है।

      उदाहरण

      भूमि, भवन, मशीन, उपस्कर, आदि क्रय करने अथवा इसके निर्माण हेतु किया गया व्यय पूँजीगत व्यय है। पूँजीगत व्यय दीर्घकालीन लाभ प्रदान करता है।

    2. आयगत व्यय (Revenue Expenditure)

      आयगत व्यय वह व्यय है जो आवर्ती प्रकृति का होता है और उसका लाभ एक लेखांकन अवधि में ही प्राप्त हो जाती है। सभी आगत खर्चों को व्यापारिक एवं लाभ-हानि खाते में डेबिट किया जाता है। आयगत खर्च वर्तमान लाभोपार्जन क्षमता बनाए रखने में सहायक होते हैं

    3. Goods क्या है ?

      जिन वस्तुओं का कोई व्यापारी व्यापर करता है, वह उसका माल (Goods) कहलाता है, जैसे - यदि कोई व्यापारी गेहूँ का व्यापर करता है तो गेहूँ उसका माल कहलाएगा। 

      यदि फर्नीचर का व्यापार करता है तो फर्नीचर उसका माल कहलाएगा। 

      तो हम इसे ऐसे भी कह सकते है कि जब किसी वस्तु का निर्माण या क्रय, बिक्री करने के उद्देश्य से होता है तो वह माल कही जाती है।

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