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RSCFA Tally Notes Part 2-alwarsupport


लेखांकन में प्रचलित संकल्पनाएं (Understanding the Conventions of accounting)
लेखांकन में प्रचलित संकल्पनाएं वे नियम है जिनका एक लेखाकार वित्तीय विवरण बनाते समय अनुसरण करता है/पालन करता है , ये लेखा जानकारी को स्पष्ट और अर्थपूर्ण बनाती है। जो निम्न है 
1.पूर्ण प्रकटीकरण की संकल्पना( Conventions of full Disclosure)
2.सारता की संकल्पना( Conventions of Materiality)
3.समानुरूपता की संकल्पना( Conventions of Consitancy)
4.रूढ़िवादिता की संकल्पना( Conventions of Conservatism)

लेखांकन में प्रयुक्त मुख्य पारिभाषिक शब्द (Important Accounting Terms)
  • सम्पति/परिसम्पतियाँ(Assets)-एक व्यवसाय के पास संपत्ति ,वस्तु,कानूनी अधिकार जिन्हें मुद्रा में बदला जा सकता है , 

‘फिन्नी और मिलर के अनुसार’- परिसम्पत्तियां भावी आर्थिक लाभ है जिनपर व्यवसाय का सर्वाधिकार एवं नियंत्रण रहता है ।
परिसम्पत्तियों को निम्न भागांे में बांटा गया है।

  • स्थायी सम्पत्ति(Fixed Assets)-वे सम्पत्ति जिनका स्थानान्तरण सहजता से नहीं हो पाता है ।, जैसे जमीन,भवन,मषीनरी 
  • चालू सम्पत्ति(Current Assets)- वे सम्पति जो समान्यः मुद्रा,रोकड़ के रूप में होती है या जिसको कभी भी मुद्रा में बदला जा सकता है। उदा. पड़ा हुआ माल, देनदार की बकाया, बैंक बैंलेस, नगद।
  • मूर्त सम्पत्ति(Tangible Assests)- इनका भौतिक अस्तित्व होता है इनको स्थायी सम्पत्ति भी कहा जा सकता है ।
  • अमूर्त सम्पत्ति(Intangible Assests)- वे सम्पतियां जिनका भौतिक अस्तित्व नहीं होता जैसे-ट्रेड़मार्क,पेटेंट, एकाधिकार
  • क्षयकारी सम्पत्ति(Wasting Assests)- वे सम्पत्तियां जिनका उपयोग के दौरान क्षय होता है जैसे- खान और , खदान 

देयताएँ(Liability)-                                                                           
वे देनदारियाँ या ऋण जिन्हें लेनदारों को चुकाना होता है जैसे- मनीष ने कल्पना से 500 रूपये का माल खरीदा ।
इसमें मनीष , कल्पना को 500 रूपये का देनदार है और कल्पना लेनदार।
देयताएँ निम्न प्रकार की होती है-

  • दीर्घकालिक देयता (Long Term Liability)- वे देयताएँ जिनका भुगतान एक वर्ष या उसके बाद किया जाता है । जैसे बैंक ऋण
  • अल्पकालिक देयता(Short Terms Liability)- वे देयताएँ जिनका भुगतान एक वर्ष के भीतर करना होता है जैसे-लेनदार,देय बिल,अल्पकालिक ऋण ।
 पुँजी(Capital)- वह राषि जिसे व्यवसाय मालिक/स्वामी द्वारा व्यवसाय में लगायी जाती हैं। जैसें-कल्पना ने 100000 ने लगाकर व्यापार आरम्भ किया। इसमें 100000 पूँजी है। 
⬌आय(Income)-किसी अवधि के दौरान अर्जित लाभ
व्यय(Expenses)- व्यापार द्वारा किया गया खर्च।
देनदार(Debitor)-वे व्यापार या व्यक्ति जिनसे बकाया पैसा लेना 
होता है । इनको सेनड्री डेबिटर भी कहा जाता है।
लेनदार(Creditor)-वे व्यापार या व्यक्ति जिनको बकाया पैसा देना होता है । इनको सेनड्री क्रेडिटर भी कहा जाता है ।
क्रय(Purchase)- व्यापार द्वारा माल खरीदने की प्रक्रिया क्रय कहलाती है।
विक्रय(Sales)- व्यापार द्वारा माल बेचने की प्रक्रिया विक्रय कहलाती है।

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