ये दो प्रकार के होते है।
-> वृद्धि प्रवर्धक- ये वृद्धि दर को बढ़ाते है जैसे- ऑक्सीन , जिबर्लिन्स, सायटोकायनिन्स ।
-> वृद्धि निरोधक- यह वृद्धि दर को कम करते हैं। एब्सिसिक अम्ल , एथिलीन
-ऑक्सिन (Auxins)- सबसे महत्वपूर्ण पादप हार्मोन।
- पौधों के ऊपरी सिरों पर बनते हैं।
-यह तने की वृद्धि को प्रेरित करता है ।
-कायिक जनन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।
-पुष्पन के लिए प्रेरित और फलों को शुरू में गिरने से बचाता है।
जिबरेलिन्स (Gibberellins)
-यह ऊपरी सिरे व भ्रूण में बनता है ।
*वोलटिंग- पुष्पन से पहले अन्तः पर्व का दीर्घीकरण को कहते है।
सायटोकायनिन्स (Cytokinin)-
- यह उन क्षेत्रों में संश्लेषित होता है जहां कोशिका विभाजन तीव्र होता है।
यह प्रसुप्ति काल को कम करता है और जीर्णता को रोकता है।
इथिलीन (Ethylene)-
- यह गैसीय अवस्था में होता है।
- इसका महत्वपूर्ण कार्य कच्चे फलों को पकाना होता है।
- यह वृद्धि अवरोधक हार्मोन है।
- फलों के पकते समय इसकी सांद्रता बढ़ जाती है।
एब्सिसिक एसिड (Abscisic Acid)-
- इसे वृद्धि निरोधक हार्मोन कहते हैं।
- यह कोशिका विभाजन को रोकता है।
फ्लोरिजेन (Florigen & Flowering Hormone)-
यह एक ऐसा हार्मोन है जब पादपों में पुष्पन को प्रेरित करता है।
- इसका निर्माण पत्तियों में होता है।
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Nice post
ReplyDeleteपादप होर्मोन्स
Thanks For Comment